गंगा नदी किस राज्य में है:- गंगा नदी भारत की सबसे प्रमुख और पवित्र नदियों में से एक है। इसका धार्मिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और पर्यावरणीय महत्त्व भारतीय उपमहाद्वीप में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। गंगा नदी का विस्तार भारत के कई राज्यों में है, और यह इन राज्यों की संस्कृति और जीवनशैली पर गहरा प्रभाव डालती है। इस लेख में, हम गंगा नदी के प्रवाह के विभिन्न राज्यों, उसके महत्व, और उन राज्यों के जीवन पर इसके प्रभाव का विस्तृत वर्णन करेंगे।
गंगा नदी का उद्गम स्थल
गंगा नदी का उद्गम उत्तराखंड राज्य के गंगोत्री हिमनद से होता है। यह हिमालय पर्वत श्रृंखला में स्थित है और समुद्र तल से लगभग 3,892 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। गंगा नदी का प्राथमिक स्रोत भागीरथी नदी है, जो गंगोत्री ग्लेशियर से निकलती है। भागीरथी और अलकनंदा नदियों के संगम से देवप्रयाग में गंगा का वास्तविक रूप धारण होता है।
उत्तराखंड राज्य में गंगा नदी का बहुत धार्मिक महत्व है, विशेष रूप से हिंदू धर्म में। हरिद्वार, जो उत्तराखंड का एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, गंगा नदी के किनारे स्थित है और यहाँ पर हर वर्ष हजारों तीर्थयात्री गंगा में स्नान करने आते हैं। यह माना जाता है कि गंगा में स्नान करने से पापों का नाश होता है। उत्तराखंड में गंगा का जल हिमालय से निकलने के कारण अत्यंत शीतल और शुद्ध होता है।
उत्तर प्रदेश में गंगा
उत्तराखंड से निकलने के बाद गंगा उत्तर प्रदेश राज्य में प्रवेश करती है, जहाँ इसका प्रवाह और भी विस्तृत हो जाता है। उत्तर प्रदेश भारत का सबसे घनी आबादी वाला राज्य है, और यहाँ पर गंगा नदी का विशेष सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व है। वाराणसी और प्रयागराज जैसे प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र गंगा के किनारे बसे हुए हैं।
प्रयागराज, जिसे पहले इलाहाबाद के नाम से जाना जाता था, वह स्थान है जहाँ गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों का संगम होता है। यह संगम स्थल हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है और हर 12 वर्ष में यहाँ कुंभ मेले का आयोजन होता है, जहाँ लाखों लोग गंगा में स्नान करने के लिए आते हैं। वाराणसी भी गंगा के किनारे स्थित एक प्राचीन शहर है, जिसे भगवान शिव की नगरी माना जाता है। यहाँ गंगा आरती का आयोजन प्रतिदिन होता है, जो धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
उत्तर प्रदेश के अन्य शहर जैसे कानपुर, मिर्जापुर, और फर्रुखाबाद भी गंगा के किनारे बसे हुए हैं और यहाँ की जीवनशैली पर गंगा का गहरा प्रभाव है। कृषि, परिवहन, और पेयजल के लिए गंगा का जल अत्यधिक महत्वपूर्ण है। हालांकि, उत्तर प्रदेश में गंगा नदी प्रदूषण की गंभीर समस्या से जूझ रही है, क्योंकि यहाँ के औद्योगिक क्षेत्रों से नदी में विषाक्त पदार्थों का प्रवाह होता है।
बिहार में गंगा
उत्तर प्रदेश से आगे बढ़कर गंगा बिहार राज्य में प्रवेश करती है। बिहार में भी गंगा नदी का विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। यहाँ यह पटना, भागलपुर और मोकामा जैसे प्रमुख शहरों से होकर बहती है। पटना, जो बिहार की राजधानी है, गंगा के किनारे बसा हुआ है और यह ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण शहर है।
बिहार में गंगा नदी कृषि के लिए एक प्रमुख स्रोत है। गंगा का बाढ़ क्षेत्र अत्यधिक उपजाऊ है और यहाँ पर चावल, गेहूं, मक्का और गन्ने जैसी फसलें उगाई जाती हैं। गंगा का जल सिंचाई के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन है, जिससे यहाँ की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है।
बिहार में भी गंगा नदी धार्मिक स्थलों के साथ जुड़ी हुई है। यहाँ का गंगा महोत्सव प्रसिद्ध है, जहाँ लाखों लोग गंगा नदी की पूजा करने और इसमें स्नान करने के लिए आते हैं। बिहार में गंगा की धार्मिक महत्ता के साथ-साथ इसका सामाजिक और आर्थिक महत्त्व भी अत्यधिक है। गंगा नदी का जल परिवहन के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह राज्य के विभिन्न हिस्सों को जोड़ने का एक प्रमुख माध्यम है।
झारखंड में गंगा
झारखंड राज्य में गंगा का प्रवाह अपेक्षाकृत कम है, लेकिन इसका प्रभाव महत्वपूर्ण है। झारखंड के साहिबगंज जिले में गंगा नदी का विस्तार है। यहाँ गंगा नदी झारखंड और बिहार के बीच सीमा का काम करती है। साहिबगंज गंगा के किनारे स्थित एक महत्वपूर्ण शहर है और यह जल परिवहन के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभर रहा है।
साहिबगंज में हाल के वर्षों में गंगा नदी पर जलमार्ग विकास के लिए कई परियोजनाओं की शुरुआत हुई है, जो यहाँ की आर्थिक स्थिति को सुधारने में सहायक साबित हो रही हैं। इसके अलावा, गंगा के किनारे मछली पकड़ना यहाँ के निवासियों के लिए एक प्रमुख व्यवसाय है, जो स्थानीय लोगों की आजीविका का स्रोत है।
पश्चिम बंगाल में गंगा
बिहार से आगे बढ़कर गंगा नदी पश्चिम बंगाल राज्य में प्रवेश करती है, जहाँ इसे हुगली नदी के नाम से जाना जाता है। पश्चिम बंगाल में गंगा का महत्व कई दृष्टिकोणों से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यहाँ का कोलकाता शहर, जो भारत का एक प्रमुख महानगर है, हुगली नदी के किनारे बसा हुआ है। कोलकाता में गंगा का जल परिवहन, उद्योग, और व्यापार के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
पश्चिम बंगाल में गंगा का धार्मिक महत्त्व भी अत्यधिक है। यहाँ पर गंगा सागर नामक स्थान है, जहाँ गंगा नदी का बंगाल की खाड़ी में विलय होता है। गंगा सागर मेला हर वर्ष आयोजित होता है, जिसमें लाखों तीर्थयात्री भाग लेते हैं। यहाँ यह मान्यता है कि गंगा सागर में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इसके अलावा, पश्चिम बंगाल में गंगा का कृषि के क्षेत्र में भी अत्यधिक महत्त्व है। गंगा के बाढ़ क्षेत्र में धान, जूट और गन्ने जैसी फसलें उगाई जाती हैं। यहाँ का डेल्टा क्षेत्र भारत के सबसे उपजाऊ क्षेत्रों में से एक है और गंगा नदी के कारण यहाँ की अर्थव्यवस्था में कृषि का प्रमुख योगदान है।
गंगा और पर्यावरणीय चुनौतियाँ
गंगा नदी का प्रवाह जिन राज्यों से होकर गुजरता है, वहाँ की आर्थिक, सांस्कृतिक और धार्मिक गतिविधियाँ गंगा पर निर्भर हैं, लेकिन इसके साथ ही यह भी सत्य है कि गंगा नदी गंभीर पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना कर रही है। गंगा के किनारे बसे शहरों से निकलने वाला औद्योगिक कचरा और घरेलू कचरा सीधे नदी में प्रवाहित किया जाता है, जिससे गंगा का जल प्रदूषित हो रहा है।
उत्तर प्रदेश, बिहार, और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में गंगा नदी में प्रदूषण की समस्या बहुत गंभीर है। यहाँ पर जल शोधन संयंत्रों की कमी के कारण कचरा सीधे नदी में छोड़ा जाता है, जिससे जल गुणवत्ता में गिरावट आई है। इसके परिणामस्वरूप यहाँ की जैव विविधता भी खतरे में पड़ गई है। मछलियों की कई प्रजातियाँ विलुप्त होने के कगार पर हैं, और गंगा के आसपास का पर्यावरण असंतुलित हो रहा है।
हालांकि, भारत सरकार ने “नमामि गंगे” जैसी योजनाओं की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य गंगा नदी की सफाई और संरक्षण करना है। इन योजनाओं के तहत गंगा नदी के किनारे स्थित शहरों में जल शोधन संयंत्र लगाए जा रहे हैं और लोगों को जागरूक किया जा रहा है कि वे नदी में कचरा न डालें। लेकिन इसके बावजूद, गंगा की सफाई की दिशा में अभी भी बहुत काम किया जाना बाकी है।
निष्कर्ष
गंगा नदी भारत के उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, और पश्चिम बंगाल राज्यों में बहती है और इन राज्यों की जीवनशैली, अर्थव्यवस्था और संस्कृति पर गहरा प्रभाव डालती है। गंगा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व भारतीय समाज में सदियों से रहा है, और यह नदी आज भी लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है।
गंगा नदी का जल इन राज्यों में कृषि, उद्योग, और परिवहन के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। लेकिन इसके साथ ही गंगा को प्रदूषण की समस्या का सामना भी करना पड़ रहा है, जो यहाँ की जैव विविधता और लोगों की आजीविका पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। गंगा को स्वच्छ और सुरक्षित बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि सरकार और समाज मिलकर प्रयास करें, ताकि यह पवित्र नदी भविष्य में भी इसी तरह जीवन का स्रोत बनी रहे।