दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों को क्या कहते हैं:- दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय को “इंडियन” या “भारतीय” कहा जाता है। इस समुदाय का इतिहास और सांस्कृतिक योगदान काफी समृद्ध और जटिल है, और इसे 2000 शब्दों में समेटना चुनौतीपूर्ण है। यहां मैंने दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के इतिहास, पहचान, और उनके सामाजिक, सांस्कृतिक, और आर्थिक योगदान के बारे में विस्तृत जानकारी दी है।
भारतीयों का आगमन और प्रारंभिक इतिहास
दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय की शुरुआत 19वीं सदी के मध्य में हुई थी, जब ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन ने भारतीय मजदूरों को “इंडेंटर्ड लेबरर्स” के रूप में यहां भेजा था। 1860 में, पहले भारतीय मजदूरों का एक समूह दक्षिण अफ्रीका पहुंचा, जिन्हें गन्ने के खेतों में काम करने के लिए लाया गया था। इस समय अधिकांश भारतीय मजदूर उत्तर प्रदेश, बिहार, तमिलनाडु, और आंध्र प्रदेश जैसे क्षेत्रों से आए थे।
इन भारतीयों के आगमन का मुख्य कारण ब्रिटिशों द्वारा अफ्रीका में बागानों और खेतों के लिए सस्ते श्रमिकों की आवश्यकता थी। इन मजदूरों को पांच साल की अवधि के लिए अनुबंध पर काम करने के लिए लाया गया था, जिसके बाद उन्हें या तो अपनी मातृभूमि वापस जाने की अनुमति दी जाती थी या वे वहीं बस सकते थे।
भारतीयों की पहचान और संघर्ष
शुरुआती भारतीय मजदूरों ने दक्षिण अफ्रीका में अत्यधिक कठिनाइयों का सामना किया। उन्हें कठोर परिस्थितियों में काम करना पड़ता था, और वे सामाजिक और राजनीतिक भेदभाव के शिकार होते थे। हालांकि, उनके कठिन परिश्रम और संकल्प ने उन्हें इस नए समाज में एक महत्वपूर्ण समुदाय बना दिया।
1893 में, महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका पहुंचे, और उन्होंने भारतीय समुदाय के अधिकारों के लिए संघर्ष करना शुरू किया। गांधीजी ने सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत की, जिसने भारतीयों को उनके अधिकारों के लिए संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया। गांधीजी के नेतृत्व ने भारतीय समुदाय में एक नई जागरूकता और आत्म-सम्मान की भावना पैदा की।
भारतीयों का सांस्कृतिक और धार्मिक जीवन
दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय ने अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को बनाए रखा है। यहां के भारतीय हिंदू, मुस्लिम, सिख, और ईसाई धर्म का पालन करते हैं। उन्होंने मंदिरों, मस्जिदों, गुरुद्वारों, और चर्चों का निर्माण किया, जो न केवल धार्मिक स्थलों के रूप में, बल्कि सांस्कृतिक केंद्रों के रूप में भी कार्य करते हैं।
भारतीय त्योहार जैसे दिवाली, ईद, गुरुपर्व, और होली दक्षिण अफ्रीका में धूमधाम से मनाए जाते हैं। इन त्योहारों ने दक्षिण अफ्रीका के सांस्कृतिक परिदृश्य को समृद्ध किया है, और इन्हें सभी समुदायों द्वारा व्यापक रूप से स्वीकार किया गया है।
सामाजिक और आर्थिक योगदान
भारतीय समुदाय ने दक्षिण अफ्रीका की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। प्रारंभ में वे कृषि श्रमिकों के रूप में काम कर रहे थे, लेकिन बाद में उन्होंने व्यापार, उद्योग, और सेवाओं में भी अपनी पहचान बनाई। भारतीय व्यापारी और व्यवसायी दक्षिण अफ्रीका के विभिन्न शहरों में सक्रिय हैं, और उन्होंने देश की आर्थिक वृद्धि में अहम भूमिका निभाई है।
इसके अलावा, भारतीय समुदाय ने शिक्षा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कई भारतीय शिक्षाविद् और शिक्षक दक्षिण अफ्रीका के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में कार्यरत हैं। उन्होंने अपनी शिक्षा और कौशल के माध्यम से समाज में जागरूकता और विकास को बढ़ावा दिया है।
राजनीतिक संघर्ष और अधिकार
भारतीय समुदाय ने दक्षिण अफ्रीका में अपने अधिकारों के लिए लंबे समय तक संघर्ष किया है। 20वीं सदी के दौरान, उन्हें नस्लीय भेदभाव और रंगभेद (अपार्थाइड) नीतियों का सामना करना पड़ा। भारतीयों को इस दौरान द्वितीय श्रेणी के नागरिकों के रूप में देखा जाता था, और उनके अधिकारों को सीमित कर दिया गया था।
1950 के दशक में, भारतीय समुदाय ने अन्य गैर-श्वेत समुदायों के साथ मिलकर रंगभेद के खिलाफ संघर्ष किया। इस संघर्ष ने दक्षिण अफ्रीका में लोकतांत्रिक अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए एक मजबूत नींव रखी। 1994 में, जब नेल्सन मंडेला राष्ट्रपति बने और रंगभेद समाप्त हुआ, भारतीय समुदाय को भी उनके अधिकार और समानता प्राप्त हुई।
वर्तमान स्थिति
आज, दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय देश के विकास और समृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। वे राजनीति, व्यापार, शिक्षा, और संस्कृति में सक्रिय रूप से शामिल हैं। भारतीय मूल के कई लोग दक्षिण अफ्रीका की संसद और सरकार में उच्च पदों पर आसीन हैं।
भारतीयों ने अपनी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करते हुए दक्षिण अफ्रीका के समाज में पूरी तरह से एकीकृत हो गए हैं। वे दक्षिण अफ्रीका के बहु-सांस्कृतिक समाज के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में पहचाने जाते हैं, और उन्होंने अपनी पहचान को मजबूती से बनाए रखा है।
निष्कर्ष
दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय का इतिहास संघर्ष, समर्पण, और सफलता की एक प्रेरणादायक गाथा है। उन्होंने अत्यधिक कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन उन्होंने कभी भी अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को नहीं छोड़ा। उनके योगदान ने दक्षिण अफ्रीका को एक समृद्ध और विविधतापूर्ण समाज बनाने में मदद की है। भारतीय समुदाय दक्षिण अफ्रीका की सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और उनके योगदान को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता।