पाषाण काल क्या है:- पाषाण काल मानव इतिहास का वह काल है, जब मनुष्य ने पत्थर के औजारों और उपकरणों का प्रयोग आरंभ किया था। यह काल सभ्यता के विकास की एक महत्वपूर्ण अवस्था थी, जिसमें मानव ने शिकार, भोजन संग्रह, और आवास के लिए प्रकृति से सीधे सामंजस्य स्थापित करना सीखा। पाषाण काल को मानव इतिहास का सबसे लंबा युग माना जाता है, जो लगभग 2.5 मिलियन वर्ष पहले से लेकर 3000 ईसा पूर्व तक फैला हुआ है। इस काल को तीन प्रमुख अवधियों में विभाजित किया गया है: पुरापाषाण काल (Paleolithic Age), मध्यपाषाण काल (Mesolithic Age), और नवपाषाण काल (Neolithic Age)।
1. पुरापाषाण काल (Paleolithic Age)
यह काल मानव इतिहास का सबसे प्राचीन चरण है, जो लगभग 2.5 मिलियन वर्ष पूर्व से 10,000 ईसा पूर्व तक फैला हुआ था। इस युग में मानव पूर्णत: प्रकृति पर निर्भर था और उसका मुख्य कार्य शिकार करना और भोजन संग्रह करना था। मानव पत्थर के मोटे औजार बनाकर उनका प्रयोग करता था, जिनका उपयोग शिकार, काटने और खुरचने के लिए किया जाता था। इस काल के प्रमुख औजारों में चाकू, हाथ के कुदाल, और हड्डी से बने औजार शामिल थे। इन उपकरणों का प्रयोग धीरे-धीरे और अधिक कुशल हुआ, जिससे मानव का विकास हुआ।
जीवनशैली:
पुरापाषाण काल के लोग खानाबदोश थे और स्थायी निवास नहीं करते थे। वे समूहों में रहते थे और अपने भोजन की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमते थे। गुफाएँ और पेड़ उनकी शरणस्थली थे। मानव ने आग की खोज इस युग में की, जिसने उनके जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव लाए। आग का उपयोग भोजन पकाने, ठंड से बचने और जंगली जानवरों से सुरक्षा के लिए किया जाता था। इसके अलावा, इस युग के मानव कला के प्रारंभिक चरणों को भी देखा जा सकता है, जैसे कि गुफा चित्रकला। गुफाओं में पाए गए चित्र बताते हैं कि लोग अपने अनुभवों को चित्रों के माध्यम से व्यक्त करते थे।
भोजन:
इस युग में मानव शिकार और भोजन संग्रहण के माध्यम से जीवन यापन करता था। वह जंगली जानवरों का शिकार करता था और जंगली फल, जड़ें, और कंदों को एकत्र करता था। मानव के शिकार करने के तरीके में धीरे-धीरे सुधार आया और समूह शिकार की प्रवृत्ति विकसित हुई, जिससे उन्हें बड़े जानवरों का शिकार करना संभव हो पाया।
2. मध्यपाषाण काल (Mesolithic Age)
मध्यपाषाण काल पुरापाषाण काल और नवपाषाण काल के बीच की एक संक्रमणीय अवस्था है, जो लगभग 10,000 ईसा पूर्व से 8,000 ईसा पूर्व तक फैली हुई थी। इस युग में मानव की जीवनशैली में परिवर्तन आया और उसने प्रकृति को और बेहतर तरीके से समझना शुरू किया। इस युग में पत्थर के औजारों में सुधार हुआ और मिक्रोलिथ नामक छोटे और अधिक सटीक औजारों का विकास हुआ। इन औजारों का उपयोग शिकार के लिए किया जाता था और इनसे बाण, तीर और भाले बनाए जाते थे।
जीवनशैली:
मध्यपाषाण काल में मानव ने अर्ध-निवास स्थान विकसित किए और वे छोटे-छोटे समूहों में रहने लगे। वे अस्थायी घरों का निर्माण करने लगे, जो कि प्राकृतिक संसाधनों से बनाए जाते थे। इस युग में लोगों ने कुत्तों को पालतू बनाना शुरू किया, जो शिकार में उनकी मदद करते थे।
भोजन:
मध्यपाषाण काल में मानव का आहार मुख्यतः शिकार पर निर्भर था, लेकिन इसके साथ ही उसने मछलियों का भी शिकार करना शुरू किया। इस युग में जलाशयों के आसपास रहने की प्रवृत्ति भी विकसित हुई, जिससे उन्हें मछली पकड़ने और अन्य जलीय संसाधनों का उपयोग करने का अवसर मिला।
3. नवपाषाण काल (Neolithic Age)
नवपाषाण काल, जो लगभग 8,000 ईसा पूर्व से 3,000 ईसा पूर्व तक फैला हुआ था, पाषाण युग का अंतिम चरण था। इस युग में मानव ने कृषि की खोज की और स्थायी निवास बनाना शुरू किया। नवपाषाण काल को सभ्यता के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जाता है। इस युग में पत्थर के औजारों के साथ-साथ धातु के औजारों का भी विकास हुआ।
कृषि का उदय:
नवपाषाण काल की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता कृषि का प्रारंभ था। मानव ने बीज बोना और फसल उगाना सीखा, जिससे उन्हें भोजन के लिए पूरी तरह से शिकार पर निर्भर नहीं रहना पड़ा। गेहूं, जौ, चावल, और अन्य अनाज इस युग में उगाए गए। इसके साथ ही, पशुपालन का विकास हुआ और लोग गाय, बकरी, भेड़, और अन्य पशुओं को पालतू बनाने लगे।
जीवनशैली:
नवपाषाण काल में मानव स्थायी निवास स्थानों का निर्माण करने लगा। उसने मिट्टी, पत्थर, और लकड़ी से घर बनाना शुरू किया और गाँवों की स्थापना की। स्थायी निवास और कृषि के कारण जनसंख्या में वृद्धि हुई और लोगों के बीच सामाजिक संगठन और वर्ग विभाजन का प्रारंभ हुआ। इस युग में कुम्हार के चाक और बर्तन बनाने की कला का विकास हुआ, जिससे भोजन संग्रह और भंडारण आसान हो गया।
धार्मिक और सांस्कृतिक विकास:
नवपाषाण काल में मानव की धार्मिक मान्यताएँ और विश्वासों का विकास हुआ। कृषि पर निर्भरता के कारण, लोगों ने प्रकृति और प्राकृतिक शक्तियों को पूजना शुरू किया। इस युग में मृतकों को दफनाने की प्रथा भी शुरू हुई, जिससे यह संकेत मिलता है कि लोग मृत्यु और जीवन के बाद के बारे में विचार करने लगे थे।
तकनीकी विकास:
नवपाषाण काल में पत्थर के औजारों के साथ-साथ धातु के औजारों का भी विकास हुआ। लोग अब कृषि, निर्माण और शिल्प कार्यों के लिए अधिक परिष्कृत और विशेषीकृत औजारों का उपयोग करने लगे थे। इस युग में कपड़े बनाने की कला का भी विकास हुआ, और मानव ने ऊन और कपास से वस्त्र बनाने शुरू किए।
पाषाण काल का महत्त्व
पाषाण काल मानव इतिहास की एक महत्वपूर्ण अवस्था है क्योंकि इस युग में मानव ने सबसे महत्वपूर्ण प्रगति की नींव रखी। इस युग में मानव ने अपने अस्तित्व के लिए प्रकृति पर निर्भर रहते हुए विभिन्न तकनीकों और उपकरणों का विकास किया। इसके साथ ही, पाषाण काल ने मानव के सामाजिक, सांस्कृतिक, और धार्मिक विकास के प्रारंभिक चरणों को भी दर्शाया।
- औजारों का विकास:
पाषाण काल में पत्थर के औजारों के विकास ने मानव को शिकार, कृषि, और जीवनयापन के अन्य क्षेत्रों में सहायता की। यह तकनीकी प्रगति मानव के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। - कृषि का प्रारंभ:
नवपाषाण काल में कृषि के विकास ने मानव के जीवन को स्थायित्व दिया। इससे भोजन की सुरक्षा सुनिश्चित हुई और जनसंख्या वृद्धि को बढ़ावा मिला। - सामाजिक संगठन:
पाषाण काल में समूहों में रहने और सामाजिक संगठनों का विकास हुआ। यह मानव समाज के प्रारंभिक संगठन का आधार बना। - धार्मिक और सांस्कृतिक विकास:
इस युग में मानव ने प्रकृति के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की और धार्मिक विश्वासों का विकास किया। कला और संस्कृति के प्रारंभिक रूपों का उदय भी इसी युग में हुआ।
निष्कर्ष
पाषाण काल मानव इतिहास की एक महत्वपूर्ण अवधि थी, जिसने मानव जीवन के हर पहलू को प्रभावित किया। इस युग में मानव ने पत्थर के औजारों का उपयोग कर अपने जीवन को सरल बनाया और धीरे-धीरे सभ्यता के मार्ग पर आगे बढ़ा। चाहे वह शिकार हो, कृषि हो, या समाज का निर्माण, पाषाण काल ने मानव के विकास की नींव रखी। इस युग के अनुभवों और आविष्कारों ने मानव सभ्यता के आगे के विकास की दिशा निर्धारित की।