पुरापाषाण काल की प्रमुख विशेषताएं:- पुरापाषाण काल (Paleolithic Age) मानव इतिहास का वह प्रारंभिक चरण है जो लगभग 25 लाख वर्ष पूर्व से लेकर लगभग 12,000 वर्ष पूर्व तक फैला हुआ है। इस काल को मानव सभ्यता के विकास का आधार माना जाता है, क्योंकि यह वह समय था जब मानव ने जीवन जीने के लिए अपने पहले साधनों और तकनीकों का विकास किया। यह समयकाल मानव के द्वारा पत्थर के औजारों के उपयोग के लिए भी जाना जाता है। इस काल की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
1. समय सीमा और विभाजन
पुरापाषाण काल को मुख्य रूप से तीन भागों में विभाजित किया जाता है:
- प्रारंभिक पुरापाषाण काल (Lower Paleolithic): लगभग 25 लाख वर्ष पूर्व से लेकर 1 लाख वर्ष पूर्व तक।
- मध्य पुरापाषाण काल (Middle Paleolithic): लगभग 1 लाख वर्ष पूर्व से लेकर 40,000 वर्ष पूर्व तक।
- उत्तर पुरापाषाण काल (Upper Paleolithic): लगभग 40,000 वर्ष पूर्व से लेकर 12,000 वर्ष पूर्व तक।
2. प्राकृतिक परिवेश और वातावरण
पुरापाषाण काल के दौरान धरती पर बड़े पर्यावरणीय परिवर्तन हुए। इस काल में कई बार हिमयुग आया और गया, जिससे जीवन जीने की परिस्थितियों पर गहरा प्रभाव पड़ा। बर्फीले क्षेत्रों में जीवन कठिन था, जबकि नदियों और जंगलों के पास मनुष्य के लिए पर्याप्त भोजन और पानी उपलब्ध था।
पर्यावरण के अनुकूल होने के लिए मानव ने प्रवासन की प्रवृत्ति अपनाई और विभिन्न स्थानों पर बसे। इस समय मनुष्य ज्यादातर गुफाओं में या प्राकृतिक आश्रयों में रहता था।
3. औजारों का निर्माण
पुरापाषाण काल की सबसे प्रमुख विशेषता पत्थर के औजारों का निर्माण था। यह काल इसीलिए “पुरापाषाण” (प्राचीन पत्थर) कहलाता है। प्रारंभ में मानव ने पत्थर के खुरदरे औजार बनाए जो शिकार और भोजन एकत्र करने में उपयोग होते थे। बाद में औजारों की गुणवत्ता में सुधार हुआ और पत्थरों को तेज करके हथियार और औजार बनाए गए। प्रमुख औजारों में हाथ-कुल्हाड़ी, स्क्रेपर, चाकू, और भाले शामिल थे।
- प्रारंभिक पुरापाषाण काल में औजार सरल और बड़े होते थे, जिन्हें मूल रूप से पत्थर को तोड़कर बनाया जाता था।
- मध्य पुरापाषाण काल में औजारों की विविधता बढ़ी और मानव ने अधिक परिष्कृत औजारों का निर्माण किया।
- उत्तर पुरापाषाण काल में औजार अधिक छोटे और उपयोगी होने लगे, और इनमें नुकीले हथियार और सजावटी उपकरण भी शामिल थे।
4. शिकार और भोजन संग्रहण
पुरापाषाण काल में मनुष्य शिकारी और भोजन संग्राहक था। मानव का जीवन मुख्यतः शिकार करने और जंगल से फल, जड़ें, और अन्य खाद्य सामग्री एकत्र करने पर आधारित था। बड़े जंगली जानवर जैसे कि हाथी, हिरण, और ऊंट शिकार के प्रमुख स्रोत थे।
शिकार के लिए समूह में काम किया जाता था, और यही समूहिक जीवन की नींव रखी गई। समूह में शिकार करने से सुरक्षा भी मिलती थी और शिकार करने की संभावना भी अधिक होती थी। इस काल में आग की खोज भी हुई, जिससे मानव ने मांस को पकाकर खाने की आदत डाली और ठंड से सुरक्षा प्राप्त की।
5. आग का उपयोग
पुरापाषाण काल के मानव ने आग की खोज की, जिसे मानव इतिहास की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक माना जाता है। आग का उपयोग भोजन पकाने, ठंड से बचने और जंगली जानवरों से सुरक्षा के लिए किया जाता था। आग की खोज ने मानव को प्राकृतिक परिस्थितियों में अनुकूलित होने में मदद की और उसके जीवन स्तर में सुधार किया।
आग की मदद से मानव ने मांस को पकाकर खाना शुरू किया, जिससे भोजन का पाचन आसान हो गया और शारीरिक विकास में सहायता मिली। इसके अलावा, आग के उपयोग से सामाजिकता भी बढ़ी, क्योंकि लोग रात में आग के आसपास इकट्ठे होते थे और एक दूसरे से संवाद करते थे।
6. आवास और सामाजिक जीवन
पुरापाषाण काल में मनुष्य का जीवन बहुत सरल और घुमंतू था। लोग स्थायी रूप से किसी एक स्थान पर नहीं रहते थे, बल्कि भोजन और पानी की तलाश में इधर-उधर घूमते रहते थे। उनका प्रमुख आवास गुफाएं और प्राकृतिक आश्रय स्थल थे।
मानव ने समूहों में रहना शुरू किया और धीरे-धीरे एक सामाजिक संरचना का विकास किया। समूह में रहने से सुरक्षा, शिकार में सहयोग, और संसाधनों के आदान-प्रदान की सुविधा मिली। सामाजिक जीवन का यह प्रारंभिक रूप सामूहिक कार्यों और अनुभवों के आदान-प्रदान पर आधारित था।
7. भाषा और संचार
यद्यपि पुरापाषाण काल में लेखन का कोई प्रमाण नहीं मिलता, फिर भी मानव ने मौखिक भाषा का विकास किया। भाषा का विकास मानव के संचार और समाजीकरण के लिए आवश्यक था। प्रारंभ में संभवतः संकेतों, ध्वनियों और हाव-भावों के माध्यम से संचार होता था, लेकिन धीरे-धीरे सरल शब्दों और ध्वनियों का उपयोग किया गया।
भाषा के विकास से शिकार, आवास, और सामाजिक संबंधों में सहयोग बढ़ा, जिससे मानव का सामूहिक जीवन सरल और संगठित हो गया।
8. कला और धार्मिक विश्वास
पुरापाषाण काल के उत्तरार्ध में मानव ने कला का विकास किया। गुफाओं की दीवारों पर चित्रकारी इस काल की एक महत्वपूर्ण विशेषता है। इन चित्रों में जानवरों, मानव आकृतियों, और दैनिक जीवन की घटनाओं को दर्शाया गया है। ये चित्रकारी मानव के सांस्कृतिक और धार्मिक विश्वासों का प्रतिबिंब मानी जाती हैं।
- गुफाचित्र: सबसे प्रसिद्ध पुरापाषाण चित्रकारी में स्पेन की आल्टामीरा गुफा और फ्रांस की लास्को गुफा की चित्रकारी शामिल है। इन चित्रों में ज्यादातर शिकार दृश्य और जानवरों के चित्र हैं।
- मूर्तिकला: इस काल में मानव ने छोटी मूर्तियां भी बनाई, जिन्हें धार्मिक अनुष्ठानों या प्रतीकात्मक उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता था। कला के माध्यम से मानव ने अपने विचारों, भावनाओं, और धार्मिक मान्यताओं को व्यक्त किया। ऐसा माना जाता है कि इन चित्रों का संबंध धार्मिक अनुष्ठानों या प्रकृति की पूजा से था।
9. धार्मिकता और विश्वास
पुरापाषाण काल के मनुष्यों के धार्मिक विश्वासों के बारे में प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं मिलते, लेकिन गुफा चित्रकला, मूर्तियों, और दफनाने की प्रथाओं से यह स्पष्ट होता है कि वे प्रकृति के तत्वों की पूजा करते थे। मानव का जीवन पूरी तरह से प्रकृति पर निर्भर था, इसलिए वे प्राकृतिक शक्तियों को अत्यधिक महत्व देते थे।
इस काल में मृतकों को दफनाने की प्रथा शुरू हुई, जो यह दर्शाता है कि पुरापाषाण मानव के पास जीवन के बाद की धारणा और आत्मा के अस्तित्व से संबंधित कुछ धार्मिक विश्वास थे।
10. सामाजिक और आर्थिक संगठन
पुरापाषाण काल का समाज मुख्यतः सामूहिक था। शिकार और भोजन संग्रह के कार्यों को समूह में किया जाता था, और संसाधनों का समान वितरण किया जाता था। किसी प्रकार की वर्गीय विभाजन या संपत्ति का विशेष अधिकार इस समय नहीं था।
इस काल में मानव का मुख्य ध्यान जीवन यापन पर था, और आर्थिक गतिविधियाँ शिकार, भोजन संग्रहण, और औजार निर्माण तक सीमित थीं।
निष्कर्ष:
पुरापाषाण काल मानव सभ्यता का एक महत्वपूर्ण अध्याय है, जिसने मानव जीवन के मूलभूत आधारों की स्थापना की। इस काल में मानव ने पत्थर के औजारों का निर्माण, आग की खोज, भाषा और कला का विकास, और सामाजिक संगठन की नींव रखी। यह काल मानव इतिहास का वह समय है जब उसने प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर जीवन जीने की तकनीकें विकसित कीं और अपनी बौद्धिक क्षमताओं का विस्तार किया।