पुलिकट झील किस राज्य में है:- पुलिकट झील, जो भारत की दूसरी सबसे बड़ी खारे पानी की झील है, मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश में स्थित है। यह झील चेन्नई के उत्तर में, आंध्र प्रदेश के चित्तूर और नेल्लोर जिलों के बीच फैली हुई है। पुलिकट झील का कुल क्षेत्रफल लगभग 600 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें से झील का अधिकांश हिस्सा आंध्र प्रदेश में है, जबकि इसका एक छोटा हिस्सा तमिलनाडु में स्थित है। इस झील की विशेषता इसकी जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र है, जो इसे पर्यावरणीय दृष्टि से महत्वपूर्ण बनाता है।
भूगोल और संरचना
पुलिकट झील का आकार एक लंबी, संकरी पट्टी की तरह है, जो समुद्र से जुड़ी हुई है। इसका औसत गहराई लगभग 2 मीटर है, और इसमें कई छोटे द्वीप भी हैं। पुलिकट झील का जल स्तर मुख्य रूप से बारिश के मौसम और समुद्री ज्वार पर निर्भर करता है। झील का जल मुख्यतः समुद्री जल और वर्षा के पानी से भरता है, जिससे इसमें खारापन बना रहता है। झील का मुख्य जल प्रवाह तुंगभद्र नदी और अन्य नदियों के माध्यम से होता है, जो विभिन्न स्थानों से आकर इस झील में मिलती हैं।
जैव विविधता
पुलिकट झील एक अद्भुत जैव विविधता का घर है। यहाँ कई प्रकार के पक्षी, मछलियाँ और जलीय जीव पाए जाते हैं। इस झील में प्रवासी पक्षियों की भी अच्छी संख्या देखी जाती है, जो सर्दियों के मौसम में यहाँ प्रवास करते हैं। यहाँ पाए जाने वाले कुछ प्रमुख पक्षियों में बगुला, कर्नाल, और कई प्रकार की हंस शामिल हैं। इसके अलावा, झील में विभिन्न प्रकार की मछलियों, झींगों और अन्य जलीय जीवों की प्रजातियाँ भी पाई जाती हैं।
पुलिकट झील के तट पर समुद्री घास, कीचड़, और अन्य जलीय पौधे भी पाए जाते हैं, जो इसके पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रखते हैं। यह झील समुद्री जीवन के लिए एक महत्वपूर्ण प्रजनन क्षेत्र है, जहाँ कई प्रकार की मछलियाँ अंडे देती हैं।
आर्थिक महत्व
पुलिकट झील क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यहाँ की मछली पकड़ने की गतिविधियाँ स्थानीय लोगों के लिए रोजगार का एक प्रमुख स्रोत हैं। झील में पाए जाने वाले मछलियों की विभिन्न प्रजातियाँ, जैसे झिंगे, सरसों मछली, और बास मछली, स्थानीय बाजार में उच्च मांग में हैं। इसके अलावा, झील का जल कृषि कार्यों के लिए भी उपयोग होता है, जिससे स्थानीय किसानों को लाभ होता है।
इसके अलावा, झील के आसपास के क्षेत्रों में पर्यटन गतिविधियाँ भी बढ़ रही हैं। पर्यटक यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता, पक्षियों की विविधता, और स्थानीय संस्कृति का अनुभव करने आते हैं। पुलिकट झील के तट पर स्थित कई दर्शनीय स्थल और मंदिर भी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं, जिससे स्थानीय व्यवसायों को बढ़ावा मिलता है।
पर्यावरणीय चुनौतियाँ
हालांकि पुलिकट झील का पारिस्थितिकी तंत्र समृद्ध है, लेकिन यह कई पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना कर रहा है। जलवायु परिवर्तन, शहरीकरण, और औद्योगीकरण के कारण झील का जल स्तर और पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित हो रहा है। पानी के प्रदूषण, अवशिष्ट अपशिष्ट, और भूमि उपयोग में परिवर्तन ने झील के पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुँचाया है।
इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्री स्तर में वृद्धि और मौसमी पैटर्न में बदलाव ने भी इस झील के पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित किया है। इन समस्याओं का समाधान करने के लिए, स्थानीय सरकार और विभिन्न संगठन संरक्षण प्रयास कर रहे हैं।
संरक्षण प्रयास
पुलिकट झील के संरक्षण के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। स्थानीय और राज्य सरकारें झील के पर्यावरण की रक्षा के लिए विभिन्न कार्यक्रमों को लागू कर रही हैं। इनमें जल गुणवत्ता सुधार, प्रदूषण नियंत्रण, और जैव विविधता संरक्षण शामिल हैं।
इसके अलावा, कई गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) भी झील के संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं। वे स्थानीय समुदायों को जागरूक करने, संरक्षण कार्यक्रमों में शामिल करने और sustainable fishing practices को प्रोत्साहित करने में मदद कर रहे हैं।
सांस्कृतिक महत्व
पुलिकट झील केवल पर्यावरणीय और आर्थिक दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि इसका सांस्कृतिक महत्व भी है। झील के आसपास कई प्राचीन मंदिर और ऐतिहासिक स्थल हैं, जो स्थानीय लोगों की संस्कृति और परंपराओं का हिस्सा हैं। स्थानीय समुदायों के लिए झील न केवल आर्थिक साधन है, बल्कि यह उनकी सांस्कृतिक पहचान का भी हिस्सा है।
निष्कर्ष
पुलिकट झील एक महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र है, जो अपनी जैव विविधता, आर्थिक महत्व और सांस्कृतिक धरोहर के लिए जानी जाती है। हालाँकि इसे कई पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन इसके संरक्षण के लिए चलाए जा रहे प्रयास इसे बचाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम हैं। स्थानीय समुदायों, सरकार, और गैर-सरकारी संगठनों के सहयोग से, पुलिकट झील की समृद्धि और भविष्य की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।
इस प्रकार, पुलिकट झील न केवल एक प्राकृतिक संसाधन है, बल्कि यह एक ऐसा स्थान है जहाँ पर्यावरण, अर्थव्यवस्था और संस्कृति का अद्वितीय संगम होता है। इसके संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाना आवश्यक है, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इस अद्भुत प्राकृतिक धरोहर का लाभ उठा सकें।