मध्यपाषाण काल (Mesolithic Age) मानव सभ्यता के विकास की एक महत्वपूर्ण अवधि है, जो पुरापाषाण काल (Paleolithic Age) और नवपाषाण काल (Neolithic Age) के बीच आती है। यह काल लगभग 12,000 ईसा पूर्व से 8,000 ईसा पूर्व तक रहा और इसे मानव सभ्यता में एक महत्वपूर्ण संक्रमणकालीन चरण माना जाता है। इस अवधि में कई सामाजिक, सांस्कृतिक और तकनीकी बदलाव देखने को मिलते हैं, जो मानव समाज के भविष्य के विकास की नींव रखते हैं।
मध्यपाषाण काल का अर्थ और नामकरण
मध्यपाषाण काल का शाब्दिक अर्थ है ‘मध्य पत्थर युग’, जो यह बताता है कि इस युग में मानव ने पत्थर के औजारों का प्रयोग किया, लेकिन तकनीक और औजारों की बनावट में कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए। यह काल इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि इसमें मानव समाज ने भोजन संग्रहकर्ता से भोजन उत्पादक बनने की ओर पहला कदम बढ़ाया। यद्यपि कृषि का प्रारंभ नवपाषाण काल में हुआ, फिर भी मध्यपाषाण काल में कुछ शुरुआती प्रयास दिखने लगे थे।
प्रमुख विशेषताएं
- आर्थिक जीवन और आजीविका
मध्यपाषाण काल में मानव मुख्य रूप से शिकार और संग्रहण के माध्यम से अपनी आजीविका चलाता था। हालांकि, इस काल में शिकार करने के तरीके और औजारों में सुधार हुआ, जिससे उनका जीवन पहले की तुलना में अधिक व्यवस्थित हो गया। मछली पकड़ना, छोटे जानवरों का शिकार और वनस्पतियों का संग्रह भी इस काल के प्रमुख आर्थिक क्रियाकलाप थे। यह काल कृषि के आरंभिक संकेत भी दिखाता है, जब कुछ समूहों ने जंगली अनाजों को संरक्षित करने और उन्हें बोने की प्रक्रिया शुरू की। - औजारों में परिवर्तन
मध्यपाषाण काल में पत्थर के औजार पहले की तुलना में अधिक छोटे और प्रभावी बने। इन्हें ‘माइक्रोलिथ’ कहा जाता है, जो छोटे और नुकीले पत्थर के टुकड़े होते थे। ये औजार शिकार करने, मछली पकड़ने, चमड़े की वस्त्र बनाने और अन्य दैनिक कार्यों के लिए इस्तेमाल किए जाते थे। माइक्रोलिथ औजारों की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह थी कि इन्हें लकड़ी या हड्डी में जोड़कर विभिन्न प्रकार के उपकरण जैसे तीर और भाले बनाए जाते थे। - आवास और जीवनशैली
इस काल में मानव की जीवनशैली काफी हद तक परिवर्ती और अर्ध-स्थायी थी। वे प्राकृतिक गुफाओं में रहते थे या अस्थायी झोंपड़ियाँ बनाकर एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाते थे। हालांकि, इस काल में पहली बार स्थायी निवास स्थलों के प्रमाण भी मिलते हैं, जो यह दर्शाते हैं कि कुछ समूह अब लंबे समय तक एक स्थान पर रहने लगे थे। यह बदलाव विशेष रूप से उन क्षेत्रों में देखा जाता है जहाँ प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता थी। - कला और संस्कृति
मध्यपाषाण काल में मानव समाज की सांस्कृतिक गतिविधियों में भी विकास हुआ। इस काल की कला के अवशेषों में गुफाओं की दीवारों पर चित्रकला के प्रमाण मिलते हैं। ये चित्र मुख्य रूप से शिकार, पशु और मानव आकृतियों से संबंधित होते थे। इससे यह प्रतीत होता है कि इस समय मानव समाज में धार्मिक या सांस्कृतिक मान्यताएँ विकसित हो रही थीं। ये चित्र शिकार और अन्य सामाजिक गतिविधियों को चित्रित करते थे, जो उनकी दैनिक जीवन शैली और विश्वास प्रणाली को दर्शाते हैं। - जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण
मध्यपाषाण काल में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन जलवायु में आया। बर्फ के युग के अंत के साथ तापमान में वृद्धि हुई, जिससे पर्यावरण में बड़े पैमाने पर बदलाव हुए। इस अवधि में ग्लेशियर पिघलने लगे और समुद्र का स्तर बढ़ने लगा। इससे प्राकृतिक वनस्पतियों और जीव-जंतुओं में भी परिवर्तन आया। नए वातावरण के अनुकूल ढलने के लिए मानव ने अपनी जीवनशैली और औजारों में सुधार किया। - समुदाय और सामाजिक संरचना
मध्यपाषाण काल में मानव समाज छोटे समूहों में बँटा हुआ था। ये समूह परिवार आधारित होते थे और आपसी सहयोग पर आधारित थे। शिकार और भोजन संग्रह जैसे कार्यों में सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती थी, जिससे सामाजिक संबंधों का विकास हुआ। धीरे-धीरे, समाज में नेतृत्व की अवधारणा भी विकसित हुई, जिसमें शारीरिक और मानसिक रूप से श्रेष्ठ व्यक्ति समूह का नेतृत्व करते थे। - धार्मिक विश्वास और अनुष्ठान
मध्यपाषाण काल के धार्मिक विश्वासों के प्रमाण स्पष्ट रूप से नहीं मिलते, लेकिन इस काल की कला और संस्कृति में कुछ ऐसे तत्व पाए जाते हैं, जो यह संकेत देते हैं कि मानव ने इस समय धार्मिक या आध्यात्मिक धारणाओं का विकास किया था। शवों का दफनाया जाना और शिलाओं पर बने चित्रकला के अवशेष यह दर्शाते हैं कि इस काल के लोग जीवन और मृत्यु के रहस्यों पर विचार कर रहे थे। शिकार से जुड़े अनुष्ठान और देवी-देवताओं के प्रति आस्था के भी प्रमाण मिलते हैं। - भोजन उत्पादन और कृषि की शुरुआत
यद्यपि मध्यपाषाण काल का प्रमुख आजीविका स्रोत शिकार और भोजन संग्रहण था, फिर भी इस काल में कृषि के शुरुआती संकेत मिलने लगे थे। जंगली अनाजों और पौधों का संग्रहण और संरक्षण किया जाने लगा था। संभवतः इस काल में मानव ने पहली बार पौधों को उगाने और खेती करने की दिशा में कदम बढ़ाए। इसका परिणाम यह हुआ कि मानव धीरे-धीरे स्थायी निवास स्थलों की ओर अग्रसर हुआ। - पशुपालन की शुरुआत
मध्यपाषाण काल में पशुपालन के शुरुआती संकेत भी मिलते हैं। इस काल में मानव ने कुत्तों को पालतू बनाना शुरू किया, जो शिकार में सहायक थे। इसके अलावा, अन्य जानवरों को पालतू बनाने की प्रक्रिया नवपाषाण काल में विकसित हुई, लेकिन मध्यपाषाण काल में इसके शुरुआती संकेत मिलने लगे थे।
निष्कर्ष
मध्यपाषाण काल मानव इतिहास का एक महत्वपूर्ण युग है, जिसने समाज, संस्कृति, और तकनीक के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस काल में मानव ने अपनी आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन में बदलाव किए, जिसने भविष्य की उन्नति के लिए आधार तैयार किया। शिकार, मछली पकड़ना, छोटे औजारों का निर्माण, स्थायी निवास स्थलों का विकास और कृषि व पशुपालन के शुरुआती संकेत यह दर्शाते हैं कि इस काल में मानव ने अपनी जीवनशैली को अधिक स्थिर और व्यवस्थित किया।
मध्यपाषाण काल का महत्व केवल इसमें नहीं है कि यह एक संक्रमणकालीन युग था, बल्कि इसने मानव सभ्यता की नींव को मजबूत किया, जिससे आगे चलकर नवपाषाण क्रांति का उदय हुआ।