संविधान के भाग 7 में क्या है:- भारतीय संविधान के भाग 7 में राज्यों के संगठन से संबंधित प्रावधानों की व्याख्या की गई थी। इसे 1956 में संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम द्वारा निरस्त कर दिया गया था। पहले, भाग 7 का शीर्षक “Part-B States” था, और इसमें भारत के उन राज्यों की स्थिति और प्रशासन का उल्लेख था जिन्हें पहले “Part-B States” के रूप में जाना जाता था।
भाग 7 की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
भारत की स्वतंत्रता के बाद, देश के क्षेत्र को तीन मुख्य वर्गों में विभाजित किया गया था: Part A States, Part B States, और Part C States।
- Part A States: इसमें वे राज्य शामिल थे जो पहले ब्रिटिश भारत के प्रांत थे, जैसे कि बिहार, बंगाल, और मद्रास।
- Part B States: इसमें वे राज्य शामिल थे जो पहले भारतीय रियासतें थीं और जिन्होंने भारत संघ में विलय किया था, जैसे हैदराबाद, जम्मू और कश्मीर, मैसूर, राजस्थान आदि।
- Part C States: इसमें छोटे-छोटे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश शामिल थे, जैसे कि दिल्ली, मणिपुर आदि।
भाग 7 का महत्व:
भाग 7 का महत्व इस बात में निहित था कि यह उन राज्यों के संगठन और प्रशासन को स्थापित करता था जो “Part-B States” के अंतर्गत आते थे। यह भाग इन राज्यों के राज्यपाल, उनके कार्यों और उनके द्वारा संचालित प्रशासन के विभिन्न पहलुओं को निर्धारित करता था।
संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, 1956:
1956 में, भारतीय संसद ने संविधान का सातवां संशोधन अधिनियम पारित किया, जिसने भारत में राज्यों की श्रेणियों को खत्म कर दिया। इस संशोधन के द्वारा Part A, Part B, और Part C राज्यों के बीच का अंतर समाप्त कर दिया गया और सभी राज्यों को एक समान श्रेणी में रखा गया। इस बदलाव के बाद, Part-B States की अवधारणा समाप्त हो गई, और भाग 7 को भारतीय संविधान से हटा दिया गया।
संविधान का पुनर्गठन और राज्यों की पुनः संरचना:
1956 का संविधान संशोधन भारत के राज्यों के पुनर्गठन के परिणामस्वरूप हुआ। यह निर्णय लिया गया था कि राज्यों का निर्माण भाषाई आधार पर किया जाएगा, जिससे नागरिकों के प्रशासन में सुविधा हो और राज्य सरकारों का कामकाज सुचारू रूप से हो सके।
भाग 7 के निरस्त होने का प्रभाव:
भाग 7 के निरस्त होने से पहले, इसका उपयोग उन राज्यों के प्रशासन के लिए किया जाता था जिन्हें पहले “Part-B States” के रूप में जाना जाता था। संविधान के सातवें संशोधन के बाद, ये राज्य और अन्य सभी राज्यों को एक समान दर्जा दिया गया और भारतीय संघ का हिस्सा बनाया गया।
निष्कर्ष:
हालांकि संविधान का भाग 7 आज अस्तित्व में नहीं है, इसका ऐतिहासिक महत्व अवश्य है। यह भाग भारतीय संविधान के प्रारंभिक स्वरूप का एक हिस्सा था, जो देश के राज्यों के संगठन के प्रारंभिक दौर का प्रतिनिधित्व करता था। संविधान का सातवां संशोधन अधिनियम 1956 एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जिसने भारत के संघीय ढांचे को एक नई दिशा दी और सभी राज्यों को समान रूप से भारतीय संघ में शामिल किया।