माता पार्वती, जिन्हें शैलपुत्री, उमा, गौरी और कई अन्य नामों से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में देवी शक्ति के रूप में पूजी जाती हैं। वे भगवान शिव की पत्नी और भगवान गणेश तथा कार्तिकेय की माता हैं। उनकी पौराणिक कथाओं में पार्वती को देवी सती का पुनर्जन्म भी माना जाता है। माता पार्वती का परिवार धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण है, और उनकी बहनों का भी इसमें विशिष्ट स्थान है।
माता पार्वती और उनकी बहनों का पौराणिक परिचय
पार्वती का जन्म हिमालय पर्वत के राजा हिमवान और उनकी पत्नी मैना के घर हुआ था। हिमवान एक महान पर्वत थे और उनकी पत्नी मैना (या मेनका) एक आदर्श पत्नी और मां मानी जाती थीं। हिमालय क्षेत्र में देवताओं और ऋषियों का आना-जाना लगा रहता था, और इसी पवित्र स्थान पर पार्वती और उनकी बहनों का पालन-पोषण हुआ।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती की तीन बहनें थीं:
- गंगा: गंगा देवी पार्वती की बड़ी बहन मानी जाती हैं। देवी गंगा का पौराणिक महत्व अत्यंत विशाल है। वे स्वर्ग से पृथ्वी पर आईं और उन्होंने समस्त मानव जाति के पापों को धोने का कार्य किया। उनकी उत्पत्ति को लेकर कई कथाएं हैं, जिनमें से एक कथा के अनुसार गंगा भगवान विष्णु के चरणों से उत्पन्न हुईं और बाद में पृथ्वी पर अवतरित हुईं। गंगा की धारा में स्नान करने से व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते हैं, ऐसा विश्वास है। देवी गंगा का विवाह महाराज शान्तनु से हुआ था, और वे भीष्म पितामह की माता बनीं।
- कुति: कुति माता पार्वती की एक और बहन थीं, हालांकि उनके बारे में ज्यादा विवरण पौराणिक कथाओं में नहीं मिलता है। कुछ ग्रंथों में कुति का उल्लेख किया गया है, लेकिन उनकी कथाएं गंगा और पार्वती के मुकाबले कम प्रसिद्ध हैं।
- जया: जया माता पार्वती की छोटी बहन मानी जाती हैं। जया का भी पौराणिक कथाओं में सीमित उल्लेख है, लेकिन वे एक शक्तिशाली देवी के रूप में जानी जाती हैं। कुछ कथाओं में उनका उल्लेख माता पार्वती की सेविका या सखी के रूप में भी किया गया है, जो उनके साथ विभिन्न दैवीय कार्यों में सम्मिलित रहती थीं।
माता पार्वती और उनकी बहनों का सांस्कृतिक महत्व
माता पार्वती और उनकी बहनों का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत व्यापक है। गंगा को पवित्रता और शुद्धता का प्रतीक माना जाता है। गंगा नदी का धार्मिक महत्व इतना अधिक है कि हर साल लाखों लोग इसमें स्नान करते हैं और अपने पापों का प्रायश्चित करते हैं।
पार्वती स्वयं शक्ति और समर्पण की देवी मानी जाती हैं। उनका विवाह भगवान शिव से हुआ था, जो विध्वंस और पुनर्निर्माण के देवता हैं। पार्वती ने शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या की थी, जो उनके धैर्य और संकल्प का प्रतीक है। पार्वती के बिना शिव का अस्तित्व अधूरा माना जाता है, और दोनों को एक साथ “अर्धनारीश्वर” के रूप में पूजा जाता है, जो पुरुष और महिला के समानता का प्रतीक है।
निष्कर्ष
माता पार्वती की तीन बहनों का उल्लेख पौराणिक कथाओं में मिलता है, जिनमें गंगा का विशेष महत्व है। पार्वती, गंगा, कुति, और जया—ये सभी देवियाँ हिंदू धर्म में शक्ति, शुद्धता, और धार्मिकता के विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व करती हैं। पार्वती और उनकी बहनों की कथाएं हमें धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण संदेश देती हैं।