शेषनाग और विष्णु भगवान की कहानी
हिंदू पौराणिक कथाओं में शेषनाग और विष्णु भगवान का संबंध अत्यंत महत्वपूर्ण और अद्वितीय है। शेषनाग, जिसे “आदिशेष” या “अनंतशेष” भी कहा जाता है, एक विशाल नाग (सांप) है जो विष्णु भगवान का महत्वपूर्ण वाहन और सहयोगी है। उनकी कहानी धर्म, भक्ति, और सृष्टि के गूढ़ रहस्यों को उजागर करती है।
शेषनाग का स्वरूप
शेषनाग का वर्णन कई पुराणों में मिलता है। उसे एक विशाल नाग के रूप में चित्रित किया जाता है जिसकी हजारों फन होती हैं। यह नाग सृष्टि के अंत में भी जीवित रहता है और उसे “अनंतशेष” यानी अनंत शेष का भी नाम दिया गया है। उसकी भूमिका सृष्टि के संरक्षण और संतुलन में महत्वपूर्ण है। शेषनाग को विष्णु भगवान का परम भक्त और उनका वाहन माना जाता है।
शेषनाग और विष्णु भगवान का संबंध
1. विष्णु भगवान का शयन:
शेषनाग के सबसे प्रसिद्ध कथाओं में से एक यह है कि विष्णु भगवान सृष्टि के अंत में जब सारा ब्रह्मांड जलमग्न हो जाता है, तब शेषनाग पर शयन करते हैं। शेषनाग की विशाल फनों से विष्णु भगवान की रक्षा की जाती है, जो उन्हें ठंडी और सुखद स्थिति में बनाए रखते हैं। इस समय विष्णु भगवान “योग निद्रा” (योगिक नींद) में होते हैं और इस स्थिति में ब्रह्मा जी सृष्टि के पुनर्निर्माण के लिए तैयार होते हैं।
2. समुद्र मंथन:
शेषनाग की भूमिका समुद्र मंथन के दौरान भी महत्वपूर्ण थी। समुद्र मंथन के दौरान, जब देवताओं और असुरों ने अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र को मथने का निर्णय लिया, तो शेषनाग को मंदराचल पर्वत को अपनी फनों पर उठाकर समुद्र को मथने में सहायता दी। शेषनाग की यह भूमिका समुद्र मंथन के दौरान अत्यंत महत्वपूर्ण थी, क्योंकि उन्होंने पर्वत को स्थिर रखा और मंथन की प्रक्रिया को सुचारु रूप से सम्पन्न किया।
3. भगवान विष्णु की रक्षा:
शेषनाग भगवान विष्णु की रक्षा करने में भी सहायक होते हैं। विष्णु भगवान जब धरती पर अवतार लेते हैं, तब शेषनाग उनके परिवहन के रूप में कार्य करते हैं। विशेषकर, भगवान कृष्ण के समय में शेषनाग ने उन्हें कई बार अपने फनों के छांव में रखा और उनके हर संकट में उनकी सहायता की।
शेषनाग की कथा
एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, जब भगवान विष्णु ने अपने अवतार के रूप में वामन (बौने ब्राह्मण) के रूप में राजा बलि को तीन पग भूमि का वचन दिया, तब बलि ने विष्णु भगवान के सामने अपना सर्वस्व अर्पित कर दिया। भगवान विष्णु ने तीन पग भूमि की माँग की, और जब बलि ने अपनी पूरी सम्पत्ति अर्पित कर दी, तो विष्णु भगवान ने उन्हें एक वचन दिया कि वे उनके साथ पाताल लोक में निवास करेंगे। इस दौरान शेषनाग ने बलि को पाताल लोक में स्वागत किया और उनकी रक्षा की।
शेषनाग की भक्ति
शेषनाग की भक्ति और निष्ठा विष्णु भगवान के प्रति असीम है। उन्हें विष्णु भगवान के वाहन के रूप में पूजा जाता है, और उनका हर कार्य भगवान के आदेश और भक्ति से प्रेरित होता है। उनकी भक्ति का एक प्रमुख उदाहरण समुद्र मंथन के समय उनकी भूमिका है, जब उन्होंने अपनी शक्ति और भक्ति का परिचय दिया।
निष्कर्ष
शेषनाग और विष्णु भगवान की कहानी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। शेषनाग, विष्णु भगवान के वाहन और उनके अनन्य भक्त के रूप में, सृष्टि की संरचना और संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उसकी निष्ठा और भक्ति के कारण, विष्णु भगवान के हर कार्य में उसकी उपस्थिति आवश्यक होती है। शेषनाग की कथा हमें भक्ति, समर्पण, और सृष्टि के महान रहस्यों को समझने में मदद करती है, और उनके साथ भगवान विष्णु का संबंध धर्म और आस्था का एक सुंदर उदाहरण प्रस्तुत करता है।